आज उत्सवों ने ले लिया है चकाचौंध का स्वरूप
तीज-त्योहारों और मेलों-पर्वों की भूमि भारतवर्ष में हर दिन कुछ खास होता है। इन सभी उत्सवों का मूल मर्म लोक जीवन में आनंद की अभिव्यक्ति के साथ जीवनयापन को सहज और सुकूनदायी बनाना है। पुराने जमाने में इन सभी उत्सवों की परिधियाँ सीमित हुआ करती थीं लेकिन आनंद असीमित हुआ करता था। आज इन उत्सवों ने ले लिया है चकाचौंध का स्वरूप, जहाँ आयोजनों की सीमाएं दूर-दूर तक पसरी होने