Home डॉ. दीपक आचार्य तारीफ सबके सामने करें, आलोचना अकेले में

तारीफ सबके सामने करें, आलोचना अकेले में

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हर आदमी का अपना-अपना मौलिक स्वभाव होता है। स्वभाव कई रूपों में सामने आता है। कभी मौलिकता लिए हुए होता है, कोई आडम्बरी और कोई दोहरा-तिहरा भाव प्रकटाने वाला। कुछ लोग शैशव से ही एक जैसे होते हैं, कुछ जमाने की हवा पाकर बिगड़ जाते हैं, कुछ दुष्टों की संगति पाकर, और कुछ किन्हीं और कारणों से। अलग-अलग स्वभाव वाले लोगों के कारण ही जमाना सतरंगी बना रहता है। फिर
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