अपने यहाँ कई तरह के आदमी होते हैं जो कच्चे और पक्के नामों से जाने जाते हैं। कोई किसी का कच्चा होता है, कोई किसी का पक्का। कई अधकच्चे और अधपके भी होते हैं। जो कच्चे हैं वे पक्का होने की तमन्ना संजोये बरसों गुजार देते हैं। इसी तरह जो पक्के हैं वे और ज्यादा पक्के होने की जिद में परिपक्व होते चले जाने के भ्रम पाले हुए जी रहे
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