हमें स्वयं और दूसरे पक्षों के कद का ध्यान रख कर प्रतिक्रिया देनी चाहिए
प्रतिक्रिया करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन इसके पहले हमें स्वयं और दूसरे पक्षों के कद का ध्यान रखना चाहिए तभी प्रतिक्रिया को गरिमामय तथा शालीन कहा जा सकता है और ऎसी प्रतिक्रिया अपना अच्छा तथा दीर्घकालीन प्रभाव छोड़ पाती है। ऎसा नहीं होने पर जो भी प्रतिक्रिया या अभिव्यक्ति होती है वह निरर्थक और बेदम होकर रह जाती है। पर आजकल स्वेच्छाचारिता और स्वच्छन्दवादिता के माहौल में न