डॉ. वेदप्रताप वैदिक — दिल्ली की हवा में इतना जहर तैर रहा है कि अस्पतालों में मरीजों का अंबार लगता जा रहा है। वायु-प्रदूषण के कारण पांच साल से छोटे लगभग एक लाख बच्चे हर साल अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। सर्वोच्च न्यायालय इतना परेशान हो गया है कि उसने दिवाली पर पटाखों पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं लेकिन आजकल पटाखों के बिना भी हवा इतनी