जातीय आरक्षणः सापों का पिटारा
डॉ. वेदप्रताप वैदिक आजकल जातीय संगठनों ने जोरों से मांग फिर उठा दी है कि सरकार जातीय जन-गणना के आंकड़ों को प्रकाशित करे। इस मांग को वे राजनेता भी हवा दे रहे हैं जिनकी राजनीति का मूल आधार ही जातीय मतदाता है। अगर उनकी अपनी जात के लोग मवेशियों की तरह उन्हें थोक वोट न दें तो उनकी दुकान पर ताले पड़ जाएं। मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ने यह