डॉ. वेदप्रताप वैदिक आजादी के 70 साल बाद हमारे सर्वोच्च न्यायालय की नींद अब खुली तो अब हम उसकी पीठ थपथपाए बिना कैसे रह सकते हैं ? अब उसने कहा है कि उसके अंग्रेजी फैसलों का संक्षिप्त अनुवाद छह भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध हो सकेगा ताकि जज और वकील ही नहीं, मुकदमा लड़नेवाले साधारण लोग भी फैसले की मोटी-मोटी बात समझ सकें। मैं पूछता हूं कि फैसलों का अनुवाद